मृत्यु के उस पार की रहस्यमयी दुनिया एवं मन्त्र शक्ति का एहसास ।। - स्वामी जी महाराज.

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मृत्यु के उस पार की रहस्यमयी दुनिया एवं मन्त्र शक्ति का एहसास ।।

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मृत्यु के उस पार की रहस्यमयी दुनिया एवं मन्त्र शक्ति का एहसास ।। Maut Ke Paar Ka Rahasya And Mantra Shakti.


मन्त्र शक्ति के चमत्कार आज के समय में कम ही देखने को मिलते हैं लेकिन मन्त्र शक्ति के सामर्थ्य का आकलन करना संभव नहीं । कुछ दिव्य शक्ति मन्त्र ऐसे हैं जिनके आगे आज के नाभिकीय बम और हैड्रोजन बम भी हलके पड़ जायेंगे ।।




इस दुनिया में सबसे बड़ा कष्ट है ‘मृत्यु’ ! किसी के लिए स्वयं की मृत्यु और किसी के लिए अपने किसी ‘प्राणों से भी अधिक प्रिय’ की मृत्यु । उसका सबसे बड़ा कारण है मृत्यु को ही अंत मान लेना । मृत्यु नजदीक, मतलब खेल ख़त्म । न आप और ना आपके भगवान कोई आपकी और मृत्यु के बीच में नहीं आता ।।

इस सम्बन्ध में मार्कंडेय ऋषि और भगवान शिव की कथा प्रासंगिक है जब बारह वर्ष की अल्पायु में शिव-भक्त मार्कंडेय जी की मृत्यु हुई तो भोले भंडारी चौंके उन्होंने धर्मराज से आपत्ति जताई ‘मेरे भक्त पर काल का क्रूर प्रहार’। धर्मराज ने विनम्रतापूर्वक कहा “प्रभु आपका ही बनाया नियम तो है, मृत्यु अटल है..उसे कैसे टाला जा सकता है”।।


महादेव ने गरजते हुए पूछा कितनी आयु है इसकी । उन्होंने बताया बारह वर्ष । शिव जी ने कहा “ठीक है लेकिन अब से इसकी आयु मेरे समय के अनुसार बारह वर्ष होगी” । धर्मराज उन्हें प्रणाम करके अपने धाम लौट आये ।।

भगवान शिव के समयानुसार बारह वर्ष मतलब लगभग अमर । अपने जीवन के अंत तक असंख्य सृष्टियों (जिनकी गणना न की जा सके) की उत्पत्ति और लय देखेंगे मार्कंडेय ऋषि । कहने का तात्पर्य यह की परब्रह्म के साकार स्वरुप भगवान शिव ने भी मृत्यु को टाला नहीं बस उसका समय-चक्र बदल दिया, मृत्यु का समय अभी भी बारह वर्ष ही था ।।


लेकिन कई बार मृत्यु से ज्यादा भयानक मृत्यु का भय होता है । लेकिन सत्पुरुषों के लिए मृत्यु भयानक नहीं होती । अगर आपने जीवन में अच्छे कर्म किये हैं तो निश्चित रूप से आपकी मृत्यु सुखद होगी ।।

इस तथ्य पर अधिकतर जीवित लोगों को विश्वास नहीं होगा लेकिन मृत्यु के दरवाजे से वापस लौटकर आने वाले कुछ ऐसा ही अनुभव बताते हैं । लोगों की मृत्यु और मृत्यु के पार के अनुभवों को जाने-माने मूर्धन्य विद्वान आचार्य श्रीराम शर्मा ने विस्तृत रूप में लिपिबद्ध किया है ।।

इसलिए उनके अनुभव एवं शोधकार्य विशेष महत्व रखते हैं । मौत के दरवाज़े से लौट कर आने वाले कई लोगों ने दिव्य प्रकाश, सुरम्य स्थानों का मनोहारी वर्णन किया है ।।





 ।। जय जय श्री राधे ।।

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।। नमों नारायण ।।

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