दुःख-निवृत्ति का सहज उपाय ।। Correct Solution of your problem's. - स्वामी जी महाराज.

Post Top Ad

demo-image

दुःख-निवृत्ति का सहज उपाय ।। Correct Solution of your problem's.

Share This

मित्रों, दुःख का अनुभव सब करते हैं, पर उसका वास्तविक कारण जानने की इच्छा किसी किसी को ही होती हैं । दु:खी होने या चिन्तित और निराश रहने से दुःख की निवृत्ति सम्भव नहीं है । ये तो तभी संभव है जब उसके मूल कारण को जान कर उसके निवारण का प्रयत्न किया जाय ।।

मूल रूप में तो यह संसार ही दुःख रूप हैं । इसमें जितनी भी वस्तुएँ हैं वे सब क्षणिक और अस्थिर हैं । प्रतिक्षण संसार का सारा स्वरुप बदलता रहता हैं । जो वस्तु अभी प्रिय दीखती हैं, कुछ ही क्षणों में कुछ छोटे से कारण उत्पन्न होने पर थोड़ी ही देर में वह अप्रिय बन जाती हैं । कामनाओं और वासनाओं का भी यही हाल हैं । एक तृप्त नहीं हो पाई कि दूसरी नई उपज जाती है ।।

तृष्णाओं का कहीं कोई अन्त नहीं, वासनाओं की कोई सीमा नहीं । पहले कमाई फिर संग्रह उसके बाद भोग फिर भी क्या इन सभी से भी किसी ने आजतक भी अपनी वासनाओं को शान्त किया हैं ? सोंचों आजतक क्या किसी ने घी डाल कर कभी आग बुझाई हैं ? बहुमुखी जीवन से मुख मोड़कर अपनी दृष्टि को अन्तर्मुखी दृष्टि बनाना ही पड़ेगा ।।

मित्रों, इसका एकमात्र उपाय है भगवच्चिन्तन जी हाँ ! मुझे लगता है, की बिना भगवच्चिन्तन के आज तक किसी को शान्ति नहीं मिली है । हमारे लिए भी इसके अतिरिक्त और कोई दूसरा उपाय या मार्ग नहीं हैं । हमें भी अपने जीवन में सबसे ज्यादा भगवच्चिन्तन को ही प्रधानता देनी चाहिए । जो अपने जीवन में शान्ति का इच्छुक हो उसे ज्यादा-से-ज्यादा भगवान का चिन्तन करना चाहिए । इससे दुःख-दरिद्रता, शान्ति और उन्नति सब सहज ही प्राप्त हो जाता है ।।

Swami+Je

Comment Using!!

1 comment:

  1. blogger_logo_round_35

    आखरी लाइन में प्रिंटिंग मिस्टेक है ।
    दुःख दरिद्रता निवृत्ती, शांती और उन्नती की प्राप्ती सहज हो जाती है ।।

    ReplyDelete

Post Bottom Ad

Pages