ब्राह्मणों के श्राप से आज भी शापित है गांधी - नेहरू खानदान जानिए कैसे...?? ।। - स्वामी जी महाराज.

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ब्राह्मणों के श्राप से आज भी शापित है गांधी - नेहरू खानदान जानिए कैसे...?? ।।

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 Bhagwat Katha - Swami Dhananjay Ji Maharaj.

बात सन् 1962 के विधान सभा चुनावों की है ।।

इंदिरा गांधी के लिये उस समय चुनाव जीतना बहुत मुश्किल था । करपात्री जी महाराज के आशीर्वाद से इंदिरा गांधी चुनाव जीती । इंदिरा ग़ांधी ने उनसे वादा किया था चुनाव जीतने के बाद गाय के सारे कत्ल खाने बंद हो जायेगें । जो अंग्रेजो के समय से चल रहे थे । लेकिन इंदिरा गांधी मुसलमानों और कम्यूनिस्टों के दवाब में आकर अपने वादे से मुकर गयी ।।

गौ हत्या निषेध आंदोलन ।।

इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा ने संतों इस मांग को ठुकरा दिया । जिसमें सविधान में संशोधन करके देश में गौ वंश की हत्या पर पाबन्दी लगाने की मांग की गयी थी । तब संतों ने 7 नवम्बर 1966 को संसद भवन के सामने धरना शुरू कर दिया । हिन्दू पंचांग के अनुसार उस दिन विक्रमी संवत 2012 कार्तिक शुक्ल की अष्टमी थी, जिसे "गोपाष्टमी" कहा जाता है ।।
 Gopashtami.
इस धरने में जो लोग शामिल थे, उनमें से कुछ मुख्य संतों के नाम इस प्रकार हैं । शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ जी, स्वामी करपात्री जी महाराज और सन्त रामचन्द्र वीर थे । सन्त राम चन्द्र वीर तो आमरण अनशन पर बैठ गए थे । लेकिन इंदिरा गांधी ने उन निहत्थे और शांत संतों पर पुलिस के द्वारा गोली चलवा दी, जिसमें कई साधू मारे गए । इस ह्त्या कांड से क्षुब्ध होकर तत्कालीन गृहमंत्री "गुलजारी लाल नंदा" ने अपना त्याग पत्र दे दिया और इस कांड के लिए खुद को तथा अपनी सरकार को जिम्मेदार बताया था ।।

परन्तु "सन्त राम चन्द्र वीर" तो फिर भी अनशन पर डटे रहे और 166 दिनों के अनसन के बाद उनकी मौत हो गयी और उसके बाद ही अनसन समाप्त हुआ था । सन्त राम चन्द्र वीर के इस अद्वितीय और इतने लम्बे अनशन ने दुनिया के सभी रिकार्ड तोड़ दिए है । यह दुनिया की पहली ऎसी घटना थी जिसमें एक हिन्दू सन्त ने गौ माता की रक्षा के लिए 166 दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर अपना बलिदान दिया था ।।

इंदिरा के वंश पर श्राप ।।

खुद को निष्पक्ष बताने वाले मिडिया के किसी भी अखबार ने इंदिरा के डर से साधुओं पर गोली चलने और सन्त रामचंद्र वीर के बलिदान की खबर छापने की हिम्मत नहीं दिखायी । सिर्फ मासिक पत्रिका “आर्यावर्त” और “केसरी” ने इस खबर को छापा था । उसके कुछ दिन बाद गोरखपुर से छपने वाली मासिक पत्रिका “कल्याण” ने अपने गौ अंक का एक विशेषांक प्रकाशित किया, जिसमें विस्तार सहित यह घटना दी गयी थी । जब मीडिया वालों ने अपने मुहों पर ताले लगा लिए थे तो करपात्री जी ने कल्याण के उसी अंक में इंदिरा को सम्बोधित करके कहा था ।।

“यद्यपि तूने निर्दोष साधुओं की हत्या करवाई है, फिर भी मुझे इसका दुःख नही है । लेकिन तूने गौ हत्यारों को गायों की हत्या करने की छूट देकर जो पाप किया है वह क्षमा के योग्य नहीं है । इसलिये आज मैं तुझे श्राप देता हूँ कि "गोपाष्टमी" के दिन ही तेरे वंश का नाश होगा और हर बार होगा । आज मैं कहे देता हूँ कि गोपाष्टमी के दिन ही तेरे वंश का भी नाश होगा ।।

अबतक श्राप सच होता रहा है ।।

जब करपात्री जी ने यह श्राप दिया था तो वहाँ "प्रभुदत्त ब्रह्मचारी" भी मौजूद थे । करपात्री जी ने जो भी कहा था वह आगे चल कर अक्षरशः सत्य भी हुआ । अबतक इंदिरा का वंश गोपाष्टमी के दिन ही नाश को प्राप्त होता रहा है । सबुत के लिए इन मौतों की तिथियों पर ध्यान दीजिये । 1-संजय गांधी की मौत आकाश में हुई थी, उस दिन हमारे पंचांग के अनुसार "गोपाष्टमी" थी । 2-इंदिरा की मौत घर में हुई थी, उस दिन भी "गोपाष्टमी" थी ।।

3-राजीव गांधी परदेस में मरे, उस दिन भी "गोपाष्टमी" ही थी । उस दिन कर पात्री जी ने उपस्थित लोगों के सामने गरज कर कहा था, कि लोग भले इस घटना को भूल जाएँ लेकिन मैं इसे कभी नहीं भूल सकता । गौ हत्यारे के वंशज नहीं बचेंगे चाहे वह आकाश में हो या पाताल में हों, चाहे घर में हो या बाहर हो यह श्राप इंदिरा के वंशजों का पीछा करता रहेगा ।।






















3 comments:

  1. कर्म पीछा करते है सदियों तक। प्राप्त से जब राजा परिक्षित नहीं बचेगा तो इसमें नेहरू परिवार की औकात ही क्या।

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  2. संतो के श्राप से इस परिवार का बच पाना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है
    जय हो गौ माता की

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  3. जभी उस शाप के कारण नेहरू खानदान अब तक कुत्ते की मौत मरता आ रहा है । इन्दिरा छलनी हो गई, राजीव की तो लाश भी नहीं मिली, जूते का ही दाह संस्कार करना पड़ा था ।

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