अक्षय फल देनेवाली ‘‘आँवला अथवा अक्षय नवमी’’ ।। Akshay Navami Ke Daan Ka Akshay Fal.
आप सभी भगवान के भक्तों को अक्षय नवमी की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई । आप सभी पर भगवान नारायण एवं माता महालक्ष्मी की सम्पूर्ण कृपा सदैव बनी रहे ।।
मित्रों, आज 09 नवम्बर 2016 दिन बुधवार को अक्षय नवमी है । आँवला नवमी या फिर अक्षय नवमी इसे कहा जाता है । आज स्वर्ण एवं भूमि एवं गुप्त दान का बहुत ही महत्त्व होता है । आज के दिन आँवला के पेड़ के नीचे दीप जलाकर पूजन किया जाता है । "ॐ धात्रयै नमः" इस मंत्र का जप करना चाहिये एवं आँवले के जड़ में भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिये । आज के दिन फल तथा अनाज आदि के दान का भी अक्षय फल होता है ।।
कार्तिक शुक्ल नवमी जिसे ‘अक्षय नवमी’ तथा ‘आँवला नवमी’ भी कहते है । अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का भी अक्षय फल होता है । इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष माहात्म्य है । पूजन में कपूर या घी के दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए । प्रदक्षिणा के निम्न मंत्र को बोलते हुये आँवले के वृक्ष की प्रदक्षिणा करने का भी विधान है ।।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ।।
मित्रों, इसके बाद आँवले के वृक्ष के नीचे श्रेष्ठ, वेदपाठी ब्राम्हणों एवं भगवान के साधक-भक्तों को भोजन कराकर फिर स्वयं भी आँवले के वृक्ष के नीचे ही भोजन करना चाहिए । घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगाकर अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष हो तो उसके नीचे पूजन कर सकते है । आंवला नवमी के दिन सुबह नहाने के पानी में आंवले का रस मिलाकर नहाने से भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है ।।
यह केवल आध्यात्मिक ही नहीं अपितु वैज्ञानिक वजहों से भी आवश्यक होता है । क्योंकि ऐसा करने से आपके अगल-बगल जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होगी वह समाप्त हो जाती हैं । सकारात्मकता और पवित्रता की वृद्धि एवं रोग नाशक उर्जा का विकास होती है । इस सकारात्मक उर्जा के साथ ही आंवले के पेड़ में भगवान नारायण एवं माता लक्ष्मी का पूजन करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का नाश हो जाता है ।।
आप सभी भगवान के भक्तों को अक्षय नवमी की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई । आप सभी पर भगवान नारायण एवं माता महालक्ष्मी की सम्पूर्ण कृपा सदैव बनी रहे ।।
मित्रों, आज 09 नवम्बर 2016 दिन बुधवार को अक्षय नवमी है । आँवला नवमी या फिर अक्षय नवमी इसे कहा जाता है । आज स्वर्ण एवं भूमि एवं गुप्त दान का बहुत ही महत्त्व होता है । आज के दिन आँवला के पेड़ के नीचे दीप जलाकर पूजन किया जाता है । "ॐ धात्रयै नमः" इस मंत्र का जप करना चाहिये एवं आँवले के जड़ में भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिये । आज के दिन फल तथा अनाज आदि के दान का भी अक्षय फल होता है ।।
कार्तिक शुक्ल नवमी जिसे ‘अक्षय नवमी’ तथा ‘आँवला नवमी’ भी कहते है । अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का भी अक्षय फल होता है । इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष माहात्म्य है । पूजन में कपूर या घी के दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए । प्रदक्षिणा के निम्न मंत्र को बोलते हुये आँवले के वृक्ष की प्रदक्षिणा करने का भी विधान है ।।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ।।
मित्रों, इसके बाद आँवले के वृक्ष के नीचे श्रेष्ठ, वेदपाठी ब्राम्हणों एवं भगवान के साधक-भक्तों को भोजन कराकर फिर स्वयं भी आँवले के वृक्ष के नीचे ही भोजन करना चाहिए । घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगाकर अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष हो तो उसके नीचे पूजन कर सकते है । आंवला नवमी के दिन सुबह नहाने के पानी में आंवले का रस मिलाकर नहाने से भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है ।।
यह केवल आध्यात्मिक ही नहीं अपितु वैज्ञानिक वजहों से भी आवश्यक होता है । क्योंकि ऐसा करने से आपके अगल-बगल जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होगी वह समाप्त हो जाती हैं । सकारात्मकता और पवित्रता की वृद्धि एवं रोग नाशक उर्जा का विकास होती है । इस सकारात्मक उर्जा के साथ ही आंवले के पेड़ में भगवान नारायण एवं माता लक्ष्मी का पूजन करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का नाश हो जाता है ।।
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