नेताओं के स्वार्थ और देशद्रोहियों के षड्यंत्रों से अपने ही देश और संस्कृति के बीच दोषी बनकर रह गया है आज का ब्राह्मण ।। - स्वामी जी महाराज.

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नेताओं के स्वार्थ और देशद्रोहियों के षड्यंत्रों से अपने ही देश और संस्कृति के बीच दोषी बनकर रह गया है आज का ब्राह्मण ।।

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नेताओं के स्वार्थ और देशद्रोही ताकतों के षड्यंत्रों का शिकार हो कर अपने ही देश और संस्कृति के बीच दोषी बनकर रह गया है आज का ब्राह्मण ।। Brahmanon Ki Halat.
जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, आज के युग में ब्राह्मण होना एक दुधारी तलवार पर चलने के समान है । यदि ब्राह्मण अयोग्य है और कुछ अच्छा कर नहीं पाता तो लोग कहते हैं कि देखो हम तो पहले ही जानते थे कि इसे इसके पुरखों के कुकर्मों का फल मिल रहा है ।। यदि कोई सफलता पाता है तो कहते हैं कि इनके तो सभी हमेशा से ऊंची पदवी पर बैठे हैं, इन्हें किसी प्रकार की सहायता की क्या आवश्यकता ? अगर किसी ब्राह्मण से कोई अपराध हो जाए फिर तो कहने ही क्या, सब आगे पीछे के सामाजिक पतन का दोष उनके सिर पर मढने का मौका सबको मिल जाता है ।।

मित्रों, ब्राह्मण इतने दशकों से अपने अपराधों की व्याख्या सुन सुन कर ग्लानि से इतना झुक चूका है कि वह कोई प्रतिक्रिया भी नहीं करता, बस चुपचाप सुनता है और अपने प्रारब्ध को स्वीकार करता है ।।
बिना दोष के भी दोषी बना घूमता है आज का ब्राह्मण । नेताओं के स्वार्थ, समाज के आरोपों, और देशद्रोही ताकतों के षड्यंत्रों का शिकार हो कर रह गया है ब्राह्मण । बहुत से ब्राह्मण अपने पूर्वजों के व्यवसाय को छोड़ चुके हैं आज । बहुत से तो संस्कारों को भी भूल चुके है । अतीत से कट चुके हैं किंतु वर्तमान से उनको जोड़ने वाला कोई नहीं ।।

मित्रों, हमारे ही लोगों द्वारा वेदों के बारे में फैलाई गई बहुत सी भ्रांतियों में से एक यह भी है कि वे ब्राह्मणवादी ग्रंथ हैं और शूद्रों को अछूत मानते हैं । अज्ञानता वश एक बहुत बड़ा दलित वर्ग भी इसे सही मानता है ।।
जातिवाद की जड़ भी वेदों में बताई जा रही है और इन्हीं विषैले विचारों पर एक बड़ा दलित आंदोलन इस देश में चलाया जा रहा है । ये जानना ज़रूरी है की इन विषैले विचारों की उत्पत्ति कहां से हुई ?

मित्रों, सबसे पहले बौद्धकाल में वेदों के विरुद्ध आंदोलन चला । जब संपूर्ण भारत पर बौद्धों का शासन था उसी समय वैदिक ग्रंथों के कई मूलपाठों को परिवर्तित कर समाज में भ्रम फैलाकर हिन्दू समाज को तोड़ा गया ।।
इसके बाद मुगलकाल में हिन्दुओं में कई तरह की जातियों का विकास करवाया गया और संपूर्ण भारत के हिन्दुओं को हजारों जातियों में बांट दिया गया । फिर आए अंग्रेज तो उनके लिए यह फायदेमंद साबित हुआ कि यहां का हिन्दू ही नहीं मुसलमान भी कई जातियों में बंटा हुआ है ।।

अंग्रेज काल में पाश्चात्य विद्वानों जैसे मेक्समूलर, ग्रिफ्फिथ, ब्लूमफिल्ड आदि का वेदों का अंग्रेजी में अनुवाद करते समय हर संभव प्रयास था कि किसी भी प्रकार से वेदों को इतना भ्रामक सिद्ध कर दिया जाए कि फिर हिन्दू समाज का वेदों से विश्वास ही उठ जाए ।।
उनका प्रयास ये था, कि हिन्दू खुद भी वेदों का विरोध करने लगे ताकि इससे ईसाई मत के प्रचार-प्रसार में अध्यात्मिक रूप से कोई कठिनाई नहीं आए । बौद्ध, मुगल और अंग्रेज तीनों ही अपने इस कार्य में 100 प्रतिशत सफल भी हुए और आज हम देखते हैं कि हिन्दू में बोद्ध भी हैं, बड़ी संख्या में मुसलमान भी हैं और ईसाई भी ।।
 ।। सदा सत्संग करें । सदाचारी और शाकाहारी बनें ।।

।। सभी जीवों की रक्षा करें ।। ।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।

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।। नमों नारायण ।।
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