तुच्छ और श्रेष्ठ नहीं भगवान का आशीर्वाद समझकर ग्रहण करें, फिर देखें ।। Chhota-Bada Nahi Sabase Prem Karen. - स्वामी जी महाराज.

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तुच्छ और श्रेष्ठ नहीं भगवान का आशीर्वाद समझकर ग्रहण करें, फिर देखें ।। Chhota-Bada Nahi Sabase Prem Karen.

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जय श्रीमन्नारायण,
Swami Ji Maharaj.

तुलसीदास जी की यह वाणी सम्पूर्ण सत्य है । एक और रहिमनदास जी की वाणी है - रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजै डारी । जहाँ काम आवै सुई कहा करै तरवारी ।। इसीलिये हमारे संतों और शास्त्रों ने बताया है, कि सबका सम्मान करना सीखो ।।
Swami Ji Maharaj.


हाँ यदि एक बार को देने वाली वस्तु कम दिखे तो भी उसमें उनकी कृपा और आशीर्वाद गूढ़ रूप में छिपी होती है जो दुनियाँ के सभी सम्पदा से भी बड़ी होती है । किसी ने एक कहानी भेजी थी मुझे काफी इन बातों से मेल खाती हुई है । आपलोगों को भी सुनाता हूँ, सुने और विचार करें ।।
Swami Ji Maharaj.


पिताजी आशीर्वादस्वरूप दोनों को वही आम देना चाहते थे, किंतु बड़े भाई ने हठपूर्वक उस आम को ले लिया । उसने उस आम का रस चूस लिया छिलका अपनी गाय को खिला दी और गुठली छोटे भाई के आँगन में फेंकते हुए कहा- ये लो पिताजी का तुम्हारे लिए आशीर्वाद है ।।
Swami Ji Maharaj.


कुछ समय बाद आम का पौधा उग आया, जो देखते ही देखते बढ़ने लगा । छोटे भाई ने उसे गमले से निकालकर अपने आँगन में लगा दिया । कुछ वर्षों बाद उसने वृक्ष का रूप ले लिया । वृक्ष के वजह से बिना छपरे के घर की धूप से रक्षा होने लगी और साथ ही प्राकृतिक सुन्दरता भी बढ़ गयी ।।

Swami Ji Maharaj.

धीरे-धीरे वृक्ष में फलियाँ लग गईं उनसे आचार व मुरब्बा बनाया गया । आम के रस से घर-परिवार के सदस्य रस-विभोर हो गए तब बाकि के आम बाजार में बेच दिया गया । उन आमों के अच्छे दाम मिलने से उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई ।।


मित्रों हमारा भी हाल कुछ ऐसा ही है । हमारा परमात्मा हमें सब कुछ देता है लेकिन हम उसका सही उपयोग नहीं करते और दोष परमात्मा और किस्मत को देते हैं । अगर हम छोटी-से-छोटी वस्तुओं की उपयोगिता समझकर उसको भगवान की कृपा समझकर ग्रहण करें तो निश्चित ही हमें उम्मीद से ज्यादा हासिल हो सकता है ।।
Swami Ji Maharaj.






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