भक्ति की पराकाष्ठा ।। Sampurna Samarpan. - स्वामी जी महाराज.

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भक्ति की पराकाष्ठा ।। Sampurna Samarpan.

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जय श्रीमन्नारायण,
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 वाणी गुणानुकथने श्रवणौ कथायां,
                            हस्तौ च कर्मसु मनस्तव पादयोर्न:।।
स्मृत्यां शिरस्तव निवासजगत्प्रणामे,                
                      दृष्टि: सतां दर्शनेअस्तु भवत्तनुनाम्।।

अर्थ:- हे प्रभो ! हमारी वाणी आपके मंगलमय गुणोंका वर्णन करती रहे । हमारे कान आपकी रसमयी कथामें लगी रहें । हमारे हाथ आपकी सेवा में और मन आपके चरण-कमलों की स्मृति में रम जाएँ । यह सम्पूर्ण जगत् आपका निवास-स्थान है । हमारा मस्तक सबके सामने झुका रहे ।
Swami Jiसन्त आपके प्रत्यक्ष शरीर हैं । हमारी ऑंखें उनके दर्शन करती रहें ।।



नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।। Sansthanam.

1 comment:

  1. Ram Ram Ji
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    Pandit Ji Rishtey Wale

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