जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, परम प्रिया श्री राधाजी के नाम की महिमा का गान करते हुए स्वयं हमारे प्रियतम श्री कृष्ण कहते हैं । किसी भी व्यक्ति के श्रीमुख से जिस समय मैं "रा" अक्षर सुन लेता हूँ उसी समय उसे अपना उत्तम प्रेमाभक्ति का दान कर देता हूँ ।।
जैसे ही कोई "धा" अक्षर का उच्चारण करे तब तो मैं मेरी प्रियतमा "श्रीराधाजी" का नाम सुनने के लिये उसके पीछे-पीछे ही चल देता हूँ । मुझे मेरी समस्त शक्तियों की प्रतिक मेरी परम प्रियतमा "श्रीजी" मुझे इतनी प्यारी हैं, कि उनका नाम लेनेवाले को मैं अपना सर्वस्व दे देता हूँ ।।
ऐ मेरे प्यारे ये तेरी नजरों का करम है, जो हम जिंदा हैं । ये तेरी मुरली का करम है, जो हमें तेरी यादों में रखती है । ये तेरे अधर रस की कृपा है, जो हमारे अश्क रुकते ही नहीं ।।
वाह रे कान्हा तेरा करम, जब से तेरे भक्ति का रस पिया, मेरी कीमत है कि कम होती ही नहीं है ।।
।। जय जय श्री राधे ।।
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।। नमों नारायण ।।
मित्रों, परम प्रिया श्री राधाजी के नाम की महिमा का गान करते हुए स्वयं हमारे प्रियतम श्री कृष्ण कहते हैं । किसी भी व्यक्ति के श्रीमुख से जिस समय मैं "रा" अक्षर सुन लेता हूँ उसी समय उसे अपना उत्तम प्रेमाभक्ति का दान कर देता हूँ ।।
जैसे ही कोई "धा" अक्षर का उच्चारण करे तब तो मैं मेरी प्रियतमा "श्रीराधाजी" का नाम सुनने के लिये उसके पीछे-पीछे ही चल देता हूँ । मुझे मेरी समस्त शक्तियों की प्रतिक मेरी परम प्रियतमा "श्रीजी" मुझे इतनी प्यारी हैं, कि उनका नाम लेनेवाले को मैं अपना सर्वस्व दे देता हूँ ।।
ऐ मेरे प्यारे ये तेरी नजरों का करम है, जो हम जिंदा हैं । ये तेरी मुरली का करम है, जो हमें तेरी यादों में रखती है । ये तेरे अधर रस की कृपा है, जो हमारे अश्क रुकते ही नहीं ।।
वाह रे कान्हा तेरा करम, जब से तेरे भक्ति का रस पिया, मेरी कीमत है कि कम होती ही नहीं है ।।
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