जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, हमेशा ही प्रेम और मित्रता बराबर वालों में अच्छी लगती है । लेकिन गरीबों से मित्रता अगर कोई अमीर करे तो वो बड़े दिल का माना जाता है । लेकिन आज के सामाजिक परिवेश में - राजा के यहा नौकरी करने वाले को इज्जत मिलती है । व्यवसायों में वाणिज्य सबसे अच्छा है एवं उत्तम गुणों वाली स्त्री घर को सुशोभित करती है ।।
हर मनुष्य के जीवन का एक दिन भी ऐसा ना जाए, जब वह एक श्लोक, पाठ, आधा श्लोक या केवल एक श्लोक या मंत्र का एक अक्षर नहीं सिखे या दान-धर्म जैसा कोई पवित्र कार्य नहीं किया हो ।।
जो माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते है वो तो बच्चों के शत्रु के सामान हैं, क्योंकि वे विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृत किए जाते हैं जैसे हंसों की सभा में बगुलों का हाल होता है ।।
अपने ही लोगों से बे-इजजत होना, पत्नी वियोग, कर्ज का भार, दुष्ट मनुष्य की सेवा, गरीबी एवं दरिद्रों की सभा, यह छ: बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देने के लिए काफी हैं ।।
ज्यादा लाड-प्यार से बच्चों में गलत आदतें आ जाती है । इसीलिए उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छी आदते सीखते है । अत: बच्चों को उनकी गलतियों के अनुसार समय-समय पर दंड अवश्य दें, क्योंकि ज्यादा लाड-प्यार बच्चे को बिगाड़ देता है ।।
एक राजा का बल उसकी सेना है, एक ब्राह्मण का बल तेज और विद्या है, एक वैश्य का बल उसकी दौलत होती है तथा एक शुद्र का बल उसकी सेवा परायणता में होता है ।।
एक ब्राह्मण अपने यजमानों से दक्षिणा मिलने के बाद उन्हें छोड़ देते है । विद्यार्थी विद्या प्राप्ति के बाद गुरु को और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं, यही सत्य है ।।
यह बातें हमेशा ध्यान देने योग्य हैं कि एक वेश्या निर्धन व्यक्ति को छोड़कर चली जाती है, पराजित राजा को प्रजा छोड़कर चली जाती है, फलरहित वृक्ष को पक्षी छोड़ देते है एवं भोजन करने के बाद मेहमान घर से चले जाते है ।।
कोई भी व्यक्ति अगर किसी दुराचारी, कुदृष्टि वाले एवं बुरे स्थान पर रहने वाले मनुष्य के साथ मित्रता करता है, तो वह शीघ्र नष्ट हो जाता है ।।
नदी के किनारे बसे वृक्ष, दूसरे व्यक्ति के घर में ज्यादा आने-जाने वाली स्त्री एवं बिना मंत्रियों का राजा, यह सब निश्चय ही शीघ्र नष्ट हो जाते है ।।
इन बातों को अपने जीवन में गंभीरता से अमल में लाना चाहिए, कल्याण निश्चित ही होगा ।।
facebook Swami Ji Sansthana, Silvassa.
Swami Ji Blog. Sansthan Blog.
।। नमों नारायण ।।
मित्रों, हमेशा ही प्रेम और मित्रता बराबर वालों में अच्छी लगती है । लेकिन गरीबों से मित्रता अगर कोई अमीर करे तो वो बड़े दिल का माना जाता है । लेकिन आज के सामाजिक परिवेश में - राजा के यहा नौकरी करने वाले को इज्जत मिलती है । व्यवसायों में वाणिज्य सबसे अच्छा है एवं उत्तम गुणों वाली स्त्री घर को सुशोभित करती है ।।
हर मनुष्य के जीवन का एक दिन भी ऐसा ना जाए, जब वह एक श्लोक, पाठ, आधा श्लोक या केवल एक श्लोक या मंत्र का एक अक्षर नहीं सिखे या दान-धर्म जैसा कोई पवित्र कार्य नहीं किया हो ।।
जो माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते है वो तो बच्चों के शत्रु के सामान हैं, क्योंकि वे विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृत किए जाते हैं जैसे हंसों की सभा में बगुलों का हाल होता है ।।
अपने ही लोगों से बे-इजजत होना, पत्नी वियोग, कर्ज का भार, दुष्ट मनुष्य की सेवा, गरीबी एवं दरिद्रों की सभा, यह छ: बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देने के लिए काफी हैं ।।
ज्यादा लाड-प्यार से बच्चों में गलत आदतें आ जाती है । इसीलिए उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छी आदते सीखते है । अत: बच्चों को उनकी गलतियों के अनुसार समय-समय पर दंड अवश्य दें, क्योंकि ज्यादा लाड-प्यार बच्चे को बिगाड़ देता है ।।
एक राजा का बल उसकी सेना है, एक ब्राह्मण का बल तेज और विद्या है, एक वैश्य का बल उसकी दौलत होती है तथा एक शुद्र का बल उसकी सेवा परायणता में होता है ।।
एक ब्राह्मण अपने यजमानों से दक्षिणा मिलने के बाद उन्हें छोड़ देते है । विद्यार्थी विद्या प्राप्ति के बाद गुरु को और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं, यही सत्य है ।।
यह बातें हमेशा ध्यान देने योग्य हैं कि एक वेश्या निर्धन व्यक्ति को छोड़कर चली जाती है, पराजित राजा को प्रजा छोड़कर चली जाती है, फलरहित वृक्ष को पक्षी छोड़ देते है एवं भोजन करने के बाद मेहमान घर से चले जाते है ।।
कोई भी व्यक्ति अगर किसी दुराचारी, कुदृष्टि वाले एवं बुरे स्थान पर रहने वाले मनुष्य के साथ मित्रता करता है, तो वह शीघ्र नष्ट हो जाता है ।।
नदी के किनारे बसे वृक्ष, दूसरे व्यक्ति के घर में ज्यादा आने-जाने वाली स्त्री एवं बिना मंत्रियों का राजा, यह सब निश्चय ही शीघ्र नष्ट हो जाते है ।।
इन बातों को अपने जीवन में गंभीरता से अमल में लाना चाहिए, कल्याण निश्चित ही होगा ।।
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।। नमों नारायण ।।
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