जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, गृहस्थ में सुख-शान्ति तथा ऐश्वर्य प्राप्ति पूर्वक निर्बाध एवं निर्विवाद रूप से घर चलाने के कुछ टिप्स आज आपलोगों को बताता हूँ ।।
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मित्रों, पहले तो आप यह समझें कि गृहस्थी में मनुष्य का मन एक मदमस्त हाथी की तरह व्यवहार करता है और हाथी अपने स्वभाव के अनुसार ही परिणाम देता है । जैसे बाग उजाड़ना घर-झोपड़ी आदि तोड़ना, बने-बनाए काम को बिगाड़ना, अधिक खाना एवं अधिक सुस्त रहना आदि-आदि । इसीलिए इस मन की तुलना हाथी से की गयी है ।।
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मित्रों, कभी भी आप पाएंगे कि जब जब आपका मन अशांत होता है तब आप अपनी गृहस्थी में स्वयं ही कई नुकसान कर लेते हैं । यहां यह समझ लें कि अशांत मन जैसा कुछ नहीं होता, दरअसल अशांति का ही दूसरा नाम मन है ।।
मन शांत करने के हम जितने प्रयास करते हैं, हमारे हाथ असफलता ही आती है । इसके लिए हमें कुछ प्रयास करना पड़ेगा । सबसे पहले मन से बाहर हो जाएं, दूर हो जाएं और उसके पार चले जाएं ।।
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मन को शांत नहीं किया जा सकता, वह जैसा है वैसा ही रहेगा, हां हम उससे बाहर होकर, दूर जाकर या उसके पार जाकर अवश्य ही कुछ शांति का अनुभव कर पाएंगे । इसके लिए कोशिश यह की जाए कि परिवारों में सामूहिक रूप से नित्य भजन किए जाएं । परिवार के सभी सदस्य जब भी बैठें, सब मिलकर भजन करें ।।
ऐसा करने से आपस में हँसी-मजाक का वातावरण निर्मित होगा । भगवत्प्रेम जागृत होगा, मन आनंद से भर जायेगा तथा सबका मन निर्मल और पवित्र बन जायेगा ।।
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लेकिन इस बात का ख़ास ध्यान रहे की आपसी चुप्पी वातावरण को बोझिल कर देती है । इसलिए कभी भी परिवार में चुप्पी ना रखें और सभी कुछ न कुछ बातें करते रहें और कम से कम एक समय सब मिलकर भजन अवश्य करें ।।
विश्वास रखिए आपकी गृहस्थी की गाडी निर्बाध रूप से दौड़ती रहेगी और घर में शांति-प्रेम और ऐश्वर्य भी बना रहेगा ।।
अपनी सोसायटी, अपने गाँव, अपने शहर में सार्वजनिक रूप से अथवा निजी रूप से छोटा से छोटा एवं बड़े से बड़ा भागवत कथा का आयोजन करवाने हेतु संपर्क करें ।।
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।। नमों नारायण ।।
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मित्रों, पहले तो आप यह समझें कि गृहस्थी में मनुष्य का मन एक मदमस्त हाथी की तरह व्यवहार करता है और हाथी अपने स्वभाव के अनुसार ही परिणाम देता है । जैसे बाग उजाड़ना घर-झोपड़ी आदि तोड़ना, बने-बनाए काम को बिगाड़ना, अधिक खाना एवं अधिक सुस्त रहना आदि-आदि । इसीलिए इस मन की तुलना हाथी से की गयी है ।।
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मन शांत करने के हम जितने प्रयास करते हैं, हमारे हाथ असफलता ही आती है । इसके लिए हमें कुछ प्रयास करना पड़ेगा । सबसे पहले मन से बाहर हो जाएं, दूर हो जाएं और उसके पार चले जाएं ।।
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मन को शांत नहीं किया जा सकता, वह जैसा है वैसा ही रहेगा, हां हम उससे बाहर होकर, दूर जाकर या उसके पार जाकर अवश्य ही कुछ शांति का अनुभव कर पाएंगे । इसके लिए कोशिश यह की जाए कि परिवारों में सामूहिक रूप से नित्य भजन किए जाएं । परिवार के सभी सदस्य जब भी बैठें, सब मिलकर भजन करें ।।
ऐसा करने से आपस में हँसी-मजाक का वातावरण निर्मित होगा । भगवत्प्रेम जागृत होगा, मन आनंद से भर जायेगा तथा सबका मन निर्मल और पवित्र बन जायेगा ।।
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लेकिन इस बात का ख़ास ध्यान रहे की आपसी चुप्पी वातावरण को बोझिल कर देती है । इसलिए कभी भी परिवार में चुप्पी ना रखें और सभी कुछ न कुछ बातें करते रहें और कम से कम एक समय सब मिलकर भजन अवश्य करें ।।
विश्वास रखिए आपकी गृहस्थी की गाडी निर्बाध रूप से दौड़ती रहेगी और घर में शांति-प्रेम और ऐश्वर्य भी बना रहेगा ।।
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।। नमों नारायण ।।
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