गजेन्द्र मोक्ष कथा का अभिप्राय. Gajendra Moksha means narrative. - स्वामी जी महाराज.

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गजेन्द्र मोक्ष कथा का अभिप्राय. Gajendra Moksha means narrative.

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जय श्रीमन्नारायण,


गजेन्द्र मोक्ष-> संसार सरोवर है । जीव गजेन्द्र है । काल मगर है । सांसारिक विषयासक्त जीव को काल का भान नहीँ रहता । हाथी की बुद्धि स्थूल होती है । यदि ब्रह्मचर्य भंग होगा, तो बुद्धि जड़ होगी । हाथी अति कामी है । सिंह वर्ष मेँ एक ही बार ब्रह्मचर्य भंग करता है, इसलिए उसका बल कम होने पर भी वह हाथी को मार सकता है ।

Sri+Rangnath+Bhagwan
कामक्रीड़ा करने वाले की बुद्धि जड़ होती है। जीवात्मा गजेन्द्र त्रिकूटाचल पर रहता है । त्रिकूट अर्थात काम,क्रोध, लोभ युक्त यह मानव शरीर । संसार सरोवर मेँ जीवात्मा स्त्री एवं बालको के साथ क्रीड़ा करता है । जिस संसार मे जीव खेलता है, उसी मेँ उसका काल भी नियत किया गया है । जो संसार मेँ कामसुख का उपभोग करता है, उसे काल पकड़ता है । जिसे काम मारता है, उसे काल भी मारता है । मनुष्य कहता है कि मैँ कामसुख का उपभोग करता हूँ, किन्तु काम मनुष्य का उपयोग करके उसे क्षीण करता है -"भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता" ।

इन्द्रियो को जब भक्तिरस मिलता है,तब वे शान्त होती हैँ। मगर ने हाथी का पाँव पकड़ा था । काल जब आता है, तो सबसे पहले पाँव ही पकड़ता है । पाँव की शक्ति क्षीण हो जाए तो समझे कि काल ने पकड़
लिया है। उस समय न घबड़ाकर भगवत स्मरण मे लग जाना चाहिए । मगर ने हाथी को पकड़ा तो न हथिनियाँ छुड़ा पायी और न ही बच्चे । मनुष्य को भी जब काल पकड़ता है, तो कोई उसे बचा नहीँ सकता ।

हारकर जब सभी हाथी उसे छोड़कर चले गये तो गजेन्द्र भगवान को स्मरण करने लगा । जीव जब मृत्युशैय्या पर अकेला होता है, तब उसकी हालत गजेन्द्र जैसी हो जाती है । अंतकाल मेँ जीव को ज्ञान होता है, परन्तु तब वह ज्ञान उसके किसी काम नही आता, तब घबड़ाकर वह सोचने लगता कि मैने मरने की कोई तैयारी नही की है, अब मेरा क्या होगा ?

जहाँ जाकर वापस होना है उसके लिए बड़ी तैयारी किन्तु जहाँ से वापस नही होना वहाँ के लिए कोई तैयारी नही करता । गजेन्द्र पशु होकर भी परमात्मा को आवाज देता है किन्तु मनुष्य मृत्युशैय्या पर पड़कर भी हाय हाय करता है पर अब हाय हाय करने से क्या मिलेगा ? गजेन्द्र अकेला होने पर सोचता है कि अब ईश्वर के सिवा मेरा कोई नहीँ । ईश्वर के आधार बिना जीव निराधार है, अन्त मे सब छोड़कर चले जाते है । अंतकाल मे जीव पछताता हुआ हाय हाय करता हुआ प्राण त्यागता है । 
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यदि अंत समय हाय हाय करके हृदय न जलाना चाहे तो अभी से हरि स्मरण प्रारम्भ करेँ । व्याकुल होकर गजेन्द्र भगवान की स्तुति करने लगा, संसारी लोगो को गजेन्द्र की भाँति नित्य श्रीहरि की स्तुति करना चाहिए, जिससे अज्ञान का नाश होकर मरण सुधरेगा । गजेन्द्र की स्तुति सुनकर भगवान आकर सुदर्शन चक्र से मगर को मारकर उसकी रक्षा की अर्थात् ज्ञान चक्र से ही काल का नाश हो सकता है । ऐसा ज्ञान होना चाहिए कि सब मे भगवान दिखाई देँ "सियाराम मय सब जग जानी " जिसे ब्रह्मदृष्टि प्राप्त होती है वह सब मे प्रभु दर्शन करता है ।
भगवान ने सुदर्शन चक्र से मगर की हत्या की अर्थात सुदर्शन भगवान के दर्शन से काल की हत्या होगी । सभी मेँ भगवद दर्शन ही सुदर्शन है । काल की पकड़ से काल के भी काल भगवान कृष्ण ही छुड़ा सकते हैँ ।

सभी मे कृष्ण का दर्शन करते करते अपने मे भी श्रीकृष्ण का दर्शन होने लगता है । शरणागत गजेन्द्र की भाँति जीव का भी प्रभु उद्धार करते हैँ । प्रातःकाल पवित्र होकर गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करने से सभी संकटो से छुटकारा मिलेगा एवं अन्तकाल मे बुद्धि निर्मल रहेगी ।

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अतः सभी को प्रतिदिन भगवान की गजेन्द्रस्तुति का पाठ करना चाहिए ।.नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।।

।।।।।। नमों नारायण ।।।।।।
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1 comment:

  1. blogger_logo_round_35

    You are awesome! Nice and useful information. But some points missing here. Check my blog below.
    The Story of Gajendra Moksha Stotra - https://sanatancharacters.blogspot.com/2021/05/story-of-gajendra-moksha-stotra.html

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