क्यों डरते हैं हम किसी से शास्त्रार्थ करने मे ? Why are we afraid to eristic in someone? - स्वामी जी महाराज.

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क्यों डरते हैं हम किसी से शास्त्रार्थ करने मे ? Why are we afraid to eristic in someone?

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जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, अक्सर हम सभी लोग कभी-कभी, किसी के सामने बोलने में, सकुचाते हैं ! आखिर क्यों ? क्या कारण है, कि ऐसा होता है ?

मेरे विचार से ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कहीं न कहीं हम अपने आप को कमजोर महशुश करते हैं ! और ये हमारी कमजोरी ज्ञान कि कमजोरी अथवा सामने वाले के मुकाबले धन कि कमजोरी हो ऐसा नहीं होता !!!
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हमें लगता है, कि हमारा स्तर या हमारे ज्ञान कि नींव ही हमारी कमजोरी का मुख्य कारण है ! क्योंकि हमें आत्मा-परमात्मा, ज्ञान-मुक्ति जैसे शब्दों में शुरू से ही उलझाया गया है ! मैं अक्सर देखता हूँ, कि आत्मा-परमात्मा, ज्ञान मुक्ति का जिसे कोई अनुभव नहीं है, वो भी बहुत बड़े से बड़ा उपदेश देने में लग जाता है ! और यहीं से हमारी कमजोरी शुरू होती है, और इसी का फायदा, कोई भी उठाता है, जिसे रोक पाने में अक्सर हम अपने-आप को असमर्थ पाते हैं !!!

हमें इस उलझन से अपने आप को अपने समाज को निकालने के लिए, कोई ठोस कदम उठाना होगा, इसके लिए जी-जान से प्रयत्न करना होगा !!!!

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!!!!! नमों नारायण !!!!

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