अच्छे कर्म करने पर कष्ट आते हैं तो क्या अच्छे कर्मों का यही फल माना जाय ?।। - स्वामी जी महाराज.

Post Top Ad

अच्छे कर्म करने पर कष्ट आते हैं तो क्या अच्छे कर्मों का यही फल माना जाय ?।।

Share This
अच्छे कर्म करने पर कष्ट आते हैं तो क्या अच्छे कर्मों का यही फल माना जाय ?।। Achchhe Karmon Ka Bura Parinam Kyon.
 Bhagwat Pravakta - Swami Dhananjay Maharaj.

जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, हम सभी मनुष्य हैं, और मुझे लगता है, कि सभी के मन में एक प्रश्न ऐसा है जो रहता ही है । प्रश्न ये है, कि अगर अच्छे कर्म करने वाले पर बाधा और कष्ट आते हैं तो क्या ये उसके अच्छे कर्मों का फल माना जाय ? क्या अच्छे कर्मों का फल यही होता है और इसीलिये अच्छे कर्म करने चाहियें ?।।

इस विषय पर हमने भी भी बहुत गहराई से चिंतन किया । परन्तु यह प्रश्न कहीं-न-कहीं कोई-न-कोई वापस पूछ ही लेता है । अगर मैं मेरे जीवन का अनुभव आपलोगों के साथ शेयर करूँ, तो अच्छे काम करने वाले को सदा ही ईश्वर की ओर से सुख, संतोष, शान्ति, प्रेम, सहयोग, उत्साह तथा जीवन के आदर्शों की प्रेरणा आदि मिलते हैं ।।

 Bhagwat Pravakta - Swami Dhananjay Maharaj.

मित्रों, परन्तु भौतिक दृष्टिकोण से ऐसा अनुभव होता है, कि अपने परिवार तथा समाज की ओर से कभी कभी तिरस्कार, घृणा, उपेक्षा, भय, निन्दा, विरोध एवं अन्याय आदि भी मिलते हैं । इतना ही नहीं कुछ और भी ऐसे तथ्य हैं, जिनके आधार पर यह स्पष्ट होता है, अच्छे कर्म करने वालों को कष्ट की अनुभूति केवल भौतिक दृष्टिकोण से ही वो भी लक्षित मात्र होता है ।।

जैसे अच्छे कर्म करने वालों के कारण समाज के स्वार्थी तत्वों के निजी हितों में बाधाएँ आती हैं । जिस कारण ऐसे लोग साधु विचारधाराओं वाले व्यक्तियों को कष्ट पहुँचाते हैं । आज की परिस्थिती में अच्छे व्यक्तियों की संख्या कम है तथा जो हैं वो भी संगठित होकर बुरे व्यक्तियों का विरोध नहीं कर पाते हैं ।।

मित्रों, इसके विपरीत बुरे व्यक्तियों की संख्या अधिक है । यदि वे कम भी हैं तो योजनाबद्ध तरीकों से अच्छे लोगों को कष्ट देते हैं । और अपने स्वार्थों की पूर्ती के लिए मिलकर कार्य करते हैं । अच्छे व्यक्ति कई बार बिना विचारे शीघ्रता में, परिणाम को जाने बिना कार्यों को कर देते हैं जिसके कारण भी दु:ख आते हैं ।।

Bhagwat Pravakta - Swami Dhananjay Maharaj.


सत्कार्यों को करना, सत्य एवं आदर्श के मार्ग पर चलना परिश्रम के साथ ही कष्टकर भी होता है । इसके विपरीत बुरे कार्यों को करना एवं झूठे तथा बनावटी आदर्शों पर चलने में कोई विशेष पुरुषार्थ भी नहीं करना पड़ता । यही वजह है, कि अच्छे व्यक्तियों को मिलने वाले सम्मान, प्रतिष्ठा, सुख एवं उनके स्मृद्धि को सहन न करके बुरे व्यक्ति ईर्ष्या द्वेष एवं प्रतिस्पर्धा के कारण उनके विरुद्ध झूठे तथा मनगढ़ंत आरोप लगाकर उन्हें फँसा देते हैं ।।

मित्रों, मेरा अपना अनुभव है, कि जो मैं कभी चाहूँ और वो न मिले तो काफी कष्ट का अनुभव होता है । परन्तु समय के अनुसार पता चलता है, कि हमारा जो कष्ट था वो क्षणिक एवं मात्र मानसिक ही था । वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है और परिणाम सदैव हमारे पक्ष में ही होता है । आवश्यकता है मात्र हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों कि वाणी पर, शास्त्रों और भगवान पर भरोसा एवं धैर्य रखने की ।।
Bhagwat Pravakta - Swami Dhananjay Maharaj.


।। सदा सत्संग करें । सदाचारी और शाकाहारी बनें ।।

।। सभी जीवों की रक्षा करें ।।

।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।

www.dhananjaymaharaj.com
www.sansthanam.com
www.dhananjaymaharaj.blogspot.com
www.sansthanam.blogspot.com

।। नमों नारायण ।।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages