वैदिक सनातन धर्म को जातिवादि व्यवस्था कहने वालों के मुँह पर जोरदार तमाचा ।। - स्वामी जी महाराज.

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वैदिक सनातन धर्म को जातिवादि व्यवस्था कहने वालों के मुँह पर जोरदार तमाचा ।।

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जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, प्रमुख स्वामी महाराज हिन्दु धर्म के एक महान सन्त थे । उनका जन्म ७ दिसम्बर १९२१-२२ में वड़ोदरा जिले के पादरा तहसील के चाणसद गांव में हुआ था । अभी इसी महीने के 13.08.16 को शाम ०६ बजे उनका अक्षरनिवास अर्थात देहावसान हो गया । स्वामीनारायण संप्रदाय एवं वैदिक सनातन हिन्दू धर्म को दुनियाँ में पहचान दिलाने वाले प्रमुख स्वामी महाराज का 95 की उम्र में देहावसान हो गया ।।

प्रमुख स्वामी महाराज का असली नाम श्री शांतिलाल पटेल था । उनका 95 वर्ष की उम्र में शनिवार शाम करीब 6 बजे अंतिम सांस के साथ ही अक्षरनिवास अर्थात देहावसान हो गया । वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे । इस घटना से लगभग पुरे गुजरात में शोक का सा वातावरण अभी भी विद्यमान है । स्वयं नरेंद्र मोदी ने उनके साथ की एक फोटो ट्वीट कर दुख व्यक्त किया और कहा कि मैं कभी भूल नहीं सकूंगा, प्रमुख स्वामी महाराज सदैव हमारे मार्गदर्शक रहे हैं ।।

प्रमुख स्वामी महाराज ने युवावस्था में ही आध्यात्म का मार्ग अपना लिया था । वे शास्त्री महाराज के शिष्य बने और 10 जनवरी 1940 को नारायणस्वरूपदासजी के रूप में उन्होंने अपना आध्यात्मिक सफर शुरू किया । साल 1950 में मात्र 28 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने बीएपीएस संस्था के प्रमुख का पद संभाल लिया था । इस समय बीएपीएस में उनकी उम्र की तुलना में अनेकों बड़े संत थे, लेकिन प्रमुख स्वामी की साधुता, नम्रता, करुणा और सेवाभाव के चलते ही उन्हें यह पद मिला था ।।

अमेरिका के न्यूजर्सी में उन्हीं की देख-रेख में संसार का सबसे बड़ा मंदिर बना हुआ है । उस मंदिर के अंदर का भव्य दृश्य जिसे देखकर आप भी विस्मृत हो जायेंगे । ९०० से ज्यादा हिंदू मंदिर बनाने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रमुख स्वामी महाराज के नाम दर्ज है । उन्होंने 9090 संस्कार केन्द्र शुरू किए और 55000 हजार स्वंयसेवक तैयार किये हैं ।।

अमेरिका के न्यूजर्सी का मंदिर तो दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के रूप में 162 एकड़ में बनाया जा रहा है । इसका निर्माण अभी भी पूरा नहीं हुआ है लगभग 2017 तक पूरा होगा । गांधीधाम-दिल्ली के भव्य अक्षरधाम के प्रेरक प्रमुख स्वामी महाराज के पास अपना कुछ नहीं था । संपत्ति के नाम कहा जाए तो सिर्फ हरिनाम की माला, चार वस्त्र, ठाकुरजी तथा उनकी पूजा-भोजनप्रसाद का काष्टपात्र मात्र था ।।

इन्होंने ढाई लाख लोगों की नशे की आदत छुड़ाई थी, दुनियाभर में कई एजुकेशनल इंस्टीट्यूट खोले । स्वामी महाराज की दिव्य शक्ति से डॉ.कलाम भी प्रभावित थे । उनकी अन्तिम इच्छा थी कि उन्हें उनके इष्ट देव भगवान स्वामी नारायण और गुरु महाराज के सामने ही उनके शरीर का अग्नि संस्कार किया जाए । प्रमुख स्वामी महाराज के पार्थिव शरीर को नए प्रमुख महंत स्वामी ने मुखाग्नि दी ।।

अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के रॉबिंसविले में स्थित स्वामीनारायण संप्रदाय का मंदिर जिसके ट्रस्ट का दावा है कि यह अमेरिका में अबतक का सबसे बड़ा मंदिर है । मंदिर के निर्माणकर्ता बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के अनुसार यह मंदिर 162 एकड़ में फैली है । मंदिर की कलाकृति को प्राचीन भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है ।।
संस्था के अनुसार इस मंदिर के निर्माण में करीब 108 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं । यह मंदिर 134 फीट लंबा और 87 फीट चौड़ा है, जिसमें 108 खंभे और तीन गर्भगृह बनाए गए हैं । इसकी भब्यता का बखान मैं इसलिये नहीं कर रहा हूँ, कि इन सब से मेरा कुछ लेना-देना है । अपितु जिन लोगों की जुबान सिर्फ हिन्दुत्व की बुराई और जाति-पाति से सम्बन्धित होते हैं, उनके लिये ये आइना है ।।
प्रमुख स्वामी महाराज एक पटेल अर्थात आदिवासी परिवार से सम्बन्धित थे । जिनके लिये देश ही नहीं अपितु विदेशों के लोग भी जान छिड़कते नहीं हिचकते । देश के प्रधान मन्त्री से लेकर राष्ट्रपति और बड़े-से-बड़े दिग्गज नेता और सभी सम्प्रदायों के महान सन्तों की लाइन लगी थी अन्तिम दर्शन को । क्यों ? क्योंकि वो एक नीची जाती के थे इसलिये ? जी नहीं । क्योंकि वो एक सच्चरित्र और अपने धर्म के प्रति समर्पित व्यक्तित्व थे । नि:स्वार्थ उन्होंने धर्म को बढ़ाया और अपना जीवन समाज सेवा में समर्पित कर दिया ।।
जिन कायरों को त्याग नहीं करना है, दुनियाँ के सबसे बड़े स्वार्थी समाज जो है, वो कभी जाती-पाती, कभी धर्म-बड़ाई की बातें करके अपनी कमजोरियों को छिपाने में लगे होते हैं । कुछ लोग वोट बैंक की गन्दी राजनीती के कारण धर्म की बुराई करते नहीं थकते और ब्राह्मणवाद तथा धर्म को कोसते रहते हैं । आज भी सैकड़ों ऐसे नामी साधू हैं जो दलित वर्ग से भी हैं और हमारे समाज में जिनकी पूजा ब्राह्मण भी करते हैं ।।
क्यों, क्योंकि हमारे यहाँ जाती व्यवस्था नाम की कोई व्यवस्था है ही नहीं, और आज ही नहीं अपितु आदिकाल से ही नहीं है । हमारे यहाँ वेदों पर आधारित चरित्र की पूजा आदिकाल से ही होती रही है । जिन्हें अपने स्वार्थ की साधना करनी हो उन्हें इन सभी बातों से क्या ? वो तो चाहते हैं, कि लोग इन बातों पर ध्यान ही न दें और मुर्ख बने रहें आजीवन ताकि उनके अपने स्वार्थ और वोट बैंक की गन्दी राजनीती चलती रहे । इन सभी बातों का फायदा उठाते रहने वाले लोग सदैव इसी बात का समर्थन करेंगे और कर रहे हैं ।।
परन्तु हम यदि हमारे समाज को स्वच्छ और निर्मल बनाना चाहते हैं, तो हमें इस प्रकार की बातों को ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक पहुँचानी होगी ताकि लोग अपने-आप को, अपने धर्म को करीब से जान सकें । आज धर्म को बहुत करीब से जानने का समय आ गया है । लोगों को वैदिक सनातन धर्म की ओर प्रेरित करने का समय आ गया है । जागो भाइयों जागो और धर्म को समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाओ ।।
।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।

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।। नमों नारायण ।।

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