जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, काशी में एक बड़े उच्च कोटि के बड़े प्रभावशाली संत थे उनका नाम था तैलंग स्वामी । स्वामी रामकृष्ण जी जब भी काशी जाते थे तब उनके चरणों में सिर रखते तो जल्दी उठाते नहीं थे ।।
तैलंग स्वामी इतने महान संत थे एक बार उन्होंने देखा कि एक नाव आ रही है । वो नाव भँवर में फँसने ही वाली थी डूबने वाली ही थी नाव की स्वामीजी के मन में विचार आया कि निर्दोष लोग बेचारे मर जायेंगे ।।
जोरों की बारिश आने लगी, उनके शिष्यों ने कहा गुरुदेव ! बारिश आ रही है आप आश्रम में जल्दी पधारें । स्वामीजी बोले कि नहीं मुझे उस आती हुई नाव को बचाना है नहीं तो ये भँवर में फँस जायेगी और सब लोग डूब जायेंगे ।।
अगर हम इनकी जिन्दगी बचाना हमारे लिए आवश्यक हो गया है । काशी मणिकर्णिका घाट देखते ही देखते बाबा अंतर्ध्यान हो गये । वहाँ भँवर में नाव भी गायब हो गई ।। थोड़ी देर के बाद सभी ने देखा कि स्वामी जी नाव पर सँवार होकर सभी यात्रियों के साथ आ रहे । ऐसी योगशक्ति एवं सिद्धियों के धनि थे स्वामीजी एवं २८० वर्ष तक इस पृथ्वी पर विराजमान रहे ।।
काशी जहाँ शिव स्वयं निवास करते हैं कभी आप भी वहाँ जायें तो स्वामी जी का दर्शन अवश्य करें । अपने सभी शिष्यों को स्वामी रामकृष्ण हर बार बोलते रहते थे ।। क्योंकि सन्तो के दर्शन उनके सत्संग का फल अमृत को भी अमर बना देता है । इसमें कोई संसय नहीं है आप कभी सत्संग में बैठकर तो देखें इस बात का अनुभव आप स्वयं करेंगे ।।
।। नारायण सभी का कल्याण करें ।।
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।। नमों नारायण ।।
मित्रों, काशी में एक बड़े उच्च कोटि के बड़े प्रभावशाली संत थे उनका नाम था तैलंग स्वामी । स्वामी रामकृष्ण जी जब भी काशी जाते थे तब उनके चरणों में सिर रखते तो जल्दी उठाते नहीं थे ।।
तैलंग स्वामी इतने महान संत थे एक बार उन्होंने देखा कि एक नाव आ रही है । वो नाव भँवर में फँसने ही वाली थी डूबने वाली ही थी नाव की स्वामीजी के मन में विचार आया कि निर्दोष लोग बेचारे मर जायेंगे ।।
जोरों की बारिश आने लगी, उनके शिष्यों ने कहा गुरुदेव ! बारिश आ रही है आप आश्रम में जल्दी पधारें । स्वामीजी बोले कि नहीं मुझे उस आती हुई नाव को बचाना है नहीं तो ये भँवर में फँस जायेगी और सब लोग डूब जायेंगे ।।
अगर हम इनकी जिन्दगी बचाना हमारे लिए आवश्यक हो गया है । काशी मणिकर्णिका घाट देखते ही देखते बाबा अंतर्ध्यान हो गये । वहाँ भँवर में नाव भी गायब हो गई ।। थोड़ी देर के बाद सभी ने देखा कि स्वामी जी नाव पर सँवार होकर सभी यात्रियों के साथ आ रहे । ऐसी योगशक्ति एवं सिद्धियों के धनि थे स्वामीजी एवं २८० वर्ष तक इस पृथ्वी पर विराजमान रहे ।।
काशी जहाँ शिव स्वयं निवास करते हैं कभी आप भी वहाँ जायें तो स्वामी जी का दर्शन अवश्य करें । अपने सभी शिष्यों को स्वामी रामकृष्ण हर बार बोलते रहते थे ।। क्योंकि सन्तो के दर्शन उनके सत्संग का फल अमृत को भी अमर बना देता है । इसमें कोई संसय नहीं है आप कभी सत्संग में बैठकर तो देखें इस बात का अनुभव आप स्वयं करेंगे ।।
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