भगवान् के लिए रोना कैसे आये ? How did cry to God. - स्वामी जी महाराज.

Post Top Ad

भगवान् के लिए रोना कैसे आये ? How did cry to God.

Share This
जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, भगवद्भक्ति में किसी भी भक्त को रोना कैसे आये ? असल में रोना तब आता है जब वह परमात्मा के लिए अति व्याकुल हो जाएँ । व्याकुलता आती है तब जब उनके बिना रहा न जाये ।।

लेकिन उस परमात्मा के बिना कब रहा नहीं जायेगा ? जब यह एहसास होगा कि संसार में उनके सिवाय मेरा और कोई है ही नहीं । मैं यहाँ नितांत अकेला ही हूँ ।।

सिर्फ एक परमात्मा ही मेरे हैं, जब केवल एक भगवान ही अपने लगने लगेंगे ! जब संसार का दूसरा कोई भी व्यक्ति अपना नहीं लगेगा ।।

जब तक संसार में एक भी व्यक्ति में अपनापन है तब तक भगवान् के लिए व्याकुलता आएगी ही नहीं


"मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई"  ।।

हम लोग इसपर तो ध्यान देते हैं कि "मेरे तो गिरिधर गोपाल" परंतु उसके बाद के शब्द "दूसरो न कोई" पर ध्यान ही नहीं देते । हमें "दूसरो न कोई" पर भी ध्यान देना है ।।

इसको धारण करना है जीवन में तभी गिरिधर गोपाल सच में अपने लगेंगे । इसीलिए जब संसार के लोग हमें दुःख दे, अपमान करें, तब इसमें प्रभु की असीम कृपा देखनी चाहिए ।।

अपने बुरे परिस्थितियों में यह सोचें कि वह हमें स्मरण अपना करा रहे हैं कि संसार में कोई अपना नहीं है । जब तक दूसरों से सुख मिलता रहता है तब तक उनसे अपनापन नहीं छूटता ।।

अपनापन तो दुःख में ही मिट सकता है । जब दुःख आये तब हमें यह याद रखना चाहिए की संसार में कोई अपना नहीं । ऐसा करना दुःख का सदुपयोग करना हो जाता है ।।

मित्रों, संसारी व्यक्ति तो दुःख का भोग करते हैं । परंतु साधकों को अपने दुःख का भी सदुपयोग करना चाहिए । नारायण-नारायण के कीर्तन से भी यही अर्थ निकालता है ।।

भगवान के किसी नाम का भी संकीर्तन जैसे - नारायण नारायण नारायण अर्थात् नारायण-ही-नारायण है । नारायण के अतिरिक्त कोई वस्तु है ही नहीं ।।

एक परमात्मा-ही-परमात्मा है, परमात्मा के अतिरिक्त कोई वस्तु है ही नहीं । भगवान नारायण को "नारायण-नारायण" - यह धुन बड़ी प्यारी लगती है ।।

इसलिये मित्रों, मेरा तो मानना है, कि संकीर्तन के साथ-ही-साथ रात्री जागरण भी करें और रातभर ऐसा ही करता रहे । प्रेम होने से ऐसा करते-करते भगवान् भी प्रकट हो जाते हैँ ।।

लोग कहते हैँ कि भजन-ध्यान करते हैँ, किन्तु आनन्द नहीं आता । मेरे मन में ख्याल आता है, कि क्या बात है ? भजन-ध्यान करे और आनन्द नहीं आये, रोटी खाये और पेट नहीं भरे, यह कैसे सम्भव है ?

























।। राधे राधे श्याम मिला दे ।। जय जय श्री राधे ।।

www.sansthanam.com
www.dhananjaymaharaj.com
www.sansthanam.blogspot.com
www.dhananjaymaharaj.blogspot.com

।। नमों नारायण ।।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages