मानव जीवन और उनकी संस्कृति ।। Life and culture. - स्वामी जी महाराज.

Post Top Ad

मानव जीवन और उनकी संस्कृति ।। Life and culture.

Share This
जय श्रीमन्नारायण,
 मित्रों, हमारे वैदिक सनातन शास्त्रों में एक शब्द है "धैर्य" जिसे संयम भी कहते हैं । इसके बिना सत्ताधारी एवं सर्वोच्च पदस्थ व्यक्ति के जीवन का भी विकास सम्भव नहीं होता ।।

परन्तु मित्रों, संयम एक ऐसा शब्द है, जिससे साधारण से साधारण जीवन का भी सर्वोच्च विकास सहजता से सम्भव हो जाता है । और होता ही है इसमें कोई संसय नहीं है ।।

मित्रों, जीवन के सितार पर हृदय लोक में मधुर संगीत उसी समय गूँजता है, जब उसके तार, नियम तथा संयम में बँधे होते हैं । जिस घोड़े की लगाम सवार के हाथ में नहीं होती, उसपर सवारी करना खतरे से खाली नहीं होता है ।।

संयम की बागडोर लगाकर ही घोड़ा निश्चित मार्ग पर चलाया जा सकता है । ठीक यही दशा मानव के मन रूपी अश्व की भी होती है । विवेक तथा संयम द्वारा इंद्रियों को अधीन करने से ही जीवन-यात्रा आनंद पूर्वक चलती है ।।

मित्रों, आजकल मैं देखता हूँ, हमारे कुछ उच्छृंखल युवक जो पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर कभी-कभी मानसिक, सामाजिक और राष्ट्रीय बंधनों को तोड़ देना चाहते हैं ।।
 स्वामी धनञ्जय महाराज.

इन्हें पता नहीं होता कि ये उनकी कितनी बड़ी भूल है । जीवन में जोश के साथ होश की उसी प्रकार आवश्यकता है जैसे अर्जुन के साथ श्रीकृष्ण की । यही बुद्धि स्थिर करने का एकमात्र उपाय है ।।

मित्रों, अपनी संस्कृति का परित्याग करके कोई भी जब भटक जाता है तो उसकी ठीक वही दशा होती है जो जंगल में अपने समूह से बिछड़ी हुई हिरणी का होता है । फिर न तो वो इधर का होता है न उधर का ।।

।। राधे राधे श्याम मिला दे ।। जय जय श्री राधे ।।

www.sansthanam.com
www.dhananjaymaharaj.com
www.sansthanam.blogspot.com
www.dhananjaymaharaj.blogspot.com

।। नमों नारायण ।।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages