BHAGWAT KATHA. BINAY PATRIKA. - स्वामी जी महाराज.

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BHAGWAT KATHA. BINAY PATRIKA.

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जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, बिनय पत्रिका में गोस्वामी जी कहते हैं, कि भगवान की भक्ति को, जो सम्पूर्ण ऐश्वर्यों का दाता है, छोडकर मानव संसार के लुभावन में फँसा हुआ है ।।

ज्ञान-वैराग्य, धन-धर्म, कैवल्य-सुख, सुभग सौभाग्य शिव ! सानुकूलं ।।

तदपि नर मूढ आरूढ संसार-पथ, भ्रमत भव, विमुख तव पादमूलं ।।८।।

अर्थ:- गोस्वामी जी कहते हैं, कि हे मन ज्ञान, वैराग्य, धन, धर्म की सिद्धि, सौभाग्य और कल्याण सभी कुछ परमात्मा के श्री चरणों की भक्ति से सहज ही प्राप्त हो जाता है ।।

फिर भी कुछ मूढ़ मनुष्य संसार के लुभावने दृश्यों के पीछे भगवान के श्री चरणों की भक्ति से विमुख होकर भटकते रहते हैं ! हे मन तूं ऐसा न करना ।।

।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।

http://www.dhananjaymaharaj.com/
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जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् ।।

।। नमों नारायण ।।


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