कर्म का लेख - भागवत कथा; Bhagwat Katha - Swami Dhananjay Maharaj; - स्वामी जी महाराज.

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कर्म का लेख - भागवत कथा; Bhagwat Katha - Swami Dhananjay Maharaj;

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जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, संस्कृत में एक कहावत है - अभद्रं भद्रं वा विधिलिखितमुन्मूलयति कः ?

अर्थात् = अच्छा या बुरा जो भी भाग्य में विधि के द्वारा लिख दिया गया है, उसे कौन मिटा सकता है ?

चाहे लाख करे चतुराई कर्म के लेख मिटे ना रे भाई ।।

लेकिन गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं, कि - मन्त्र महामनि विषय ब्याल के ।
मेटत कठिन कुअंक भाल के ।।

अर्थात् = मन्त्रों के प्रभाव से विधि के द्वारा लिखित बुरा भाग्य मिट जाता है ।।

इन सबके बीच में भगवान निर्णय देते हुए कहते हैं, कि - कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।।

अर्थात् = ये सब तूं मत सोंच, सिर्फ कर्म करता चल, फल की आशा मत कर ।।

।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।

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जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् ।।

।। नमों नारायण ।।

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