जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, संस्कृत में एक कहावत है - अभद्रं भद्रं वा विधिलिखितमुन्मूलयति कः ?
अर्थात् = अच्छा या बुरा जो भी भाग्य में विधि के द्वारा लिख दिया गया है, उसे कौन मिटा सकता है ?
चाहे लाख करे चतुराई कर्म के लेख मिटे ना रे भाई ।।
लेकिन गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं, कि - मन्त्र महामनि विषय ब्याल के ।
मेटत कठिन कुअंक भाल के ।।
अर्थात् = मन्त्रों के प्रभाव से विधि के द्वारा लिखित बुरा भाग्य मिट जाता है ।।
इन सबके बीच में भगवान निर्णय देते हुए कहते हैं, कि - कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।।
अर्थात् = ये सब तूं मत सोंच, सिर्फ कर्म करता चल, फल की आशा मत कर ।।
।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।
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जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् ।।
।। नमों नारायण ।।
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