कर्म की गति टारे नाहीं टरी सजन हो टारे नाहीं टरी ।। - स्वामी जी महाराज.

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कर्म की गति टारे नाहीं टरी सजन हो टारे नाहीं टरी ।।

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कर्म की गति टारे नाहीं टरी सजन हो टारे नाहीं टरी ।। Karma Ka Fal Milana Nishchit Hai.
 Swami Ji


जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, एक बार की बात है, कि एक कारोबारी सेठजी सुबह जल्दबाजी में घर से निकले और ऑफिस जाने के लिए कार का दरवाजा खोल कर जैसे ही बैठने गये तो उनका पाँव गाड़ी के नीचे बैठे एक कुत्ते की पूँछ पर पड़ गयी । दर्द से तड़पकर अचानक इस इस चोट से आहत होकर घबराकर वह कुत्ता भी सेठजी को जोर से काट लेता है ।।

 Swami Ji


गुस्से में आकर सेठजी भी आसपास पड़े कुछ पत्थर के टुकड़ों से कुत्ते की ओर फेंककर मारने का प्रयास करते हैं, परन्तु भाग्य से एक भी पत्थर उस कुत्ते को नहीं लगता है और वह कुत्ता वहाँ से भाग जाता है । जैसे तैसे सेठजी अपना इलाज करवाकर ऑफिस पहुँचते हैं जहां उन्होंने पहले से ही मीटिंग रख राखी थी । सेठजी के मीटिंग में पहुंचते ही कुत्ते का सारा गुस्सा उन बिचारे कर्मचारियों पर उतर जाता है ।।
 Swami Dhananjay Maharaj.


मित्रों, अब वे प्रबन्धक भी मीटिंग से बाहर आते ही एक दूसरे पर भड़क जाते हैं । बॉस ने बगैर किसी वाजिब कारण के डांट जो दिया था । अब दिन भर वे लोग ऑफिस में अपने नीचे काम करने वालों पर अपनी खीज निकालते हैं । ऐसे करते-करते आखिरकार सभी का गुस्सा अंत में ऑफिस के चपरासी पर निकलता है जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए भुन भुनाते हुए घर चला जाता है ।।
 Swami Ji Maharaj.


घंटी की आवाज़ सुन कर उसकी पत्नी दरवाजा खोलती है और हमेशा की तरह पूछती है क्यों जी आज फिर देर हो गई आने में ? वो लगभग चीखते हुए कहता है, कि मै क्या ऑफिस कंचे खेलने जाता हूँ ? काम करता हूँ, दिमाग मत खराब करो मेरा । पहले से ही पका हुआ हूँ, चलो खाना परोसो । अब गुस्सा होने की बारी पत्नी की थी । रसोई में काम करते वक़्त बीच बीच में आने पर वह पति का गुस्सा अपने बच्चे पर उतारते हुए उसे जमा के तीन चार थप्पड़ रसीद कर देती है ।।
 Swami Dhananjay Maharaj.


मित्रों, अब बिचारा बच्चा जाए तो जाये कहाँ ? घर का ऐसा बिगड़ा माहौल देख, बिना कारण अपनी माँ की मार खाकर वह रोते रोते बाहर का रुख करता है । एक पत्थर उठाता है और सामने जा रहे कुत्ते को पूरी ताकत से दे मारता है । कुत्ता फिर बिलबिलाता है क्योंकि दोस्तों ये वही सुबह वाला कुत्ता था । अरे भई उसको उसके काटे के बदले ये पत्थर तो पड़ना ही था केवल समय का फेर था ।।
 Swami Shri.


अपने कर्मों का फल तो मिलना ही है, फिर भले ही सेठ जी की जगह कोई बच्चे से मिले । जीव के कर्मों का चक्र तो पूरा होना ही है । इसलिए मित्रों यदि कोई आपको काट खाये, चोट पहुंचाए और आप उसका कुछ ना कर पाएँ, तो निश्चिंत रहें, उसे चोट तो लग के ही रहेगी और बिलकुल लगेगी । जो आपको चोट पहुंचाएगा, उस का तो चोटिल होना निश्चित ही है । कब होगा, किसके हाथों होगा, ये केवल ऊपरवाला ही जानता है, पर होगा ज़रूर, क्योंकि यही तो सृष्टी का अकाट्य नियम है ।।
Dhananjay Maharaj.



।। सदा सत्संग करें । सदाचारी और शाकाहारी बनें । सभी जीवों की रक्षा करें ।।


।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।

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।। नमों नारायण ।।

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