जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, क्या खूब लिखा है किसी ने मेरे तो दिल को छू गया तो मैंने सोंचा आपलोगों से भी शेयर करूँ । पढ़कर देखें आपको आनन्द आएगा और कुछ सिख भी मिलेगी ।।
बेटी शादी के मण्डप में या ससुराल जाने मात्र से ही पराई नहीं हो जाती । बल्कि जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद बेसिन के पास टंगे नैपकिन के बजाय अपने बैग के छोटे से रुमाल से मुंह पोंछती है तब वह पराई लगती है ।।
मित्रों, एक बेटी जब उसकी शादी हो जाती है और वह मायके वापस आती है । और जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी ठिठक जाती है तब वह पराई लगती है ।।
जब वह पानी के गिलास के लिए इधर- उधर आँखें घुमाती है तब वह पराई लगती है । जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है ।।
मित्रों, जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है । जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है ।।
जब बात- बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है । लौटकर जाते समय "अब कब आएगी" के जवाब में "देखो कब आना होता है" यह जवाब देती है तब हमेशा के लिए पराई हो गई सी लगती है ।। लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से अपनी कोर सुखाने की कोशिश करती है तो वह परायापन एक झटके में परायी हो जाती है ।।
लेकिन बेटियाँ पराई नहीं होती वो अपने ससुराल के दुखों को छिपाने और अपने माता के दर्द का अनुभव करके ऐसा करती है । अपने दुःख के घूंटों को पीकर भी अपने दर्द को छिपाकर चली जाती है ।।
।। नारायण सभी का कल्याण करें ।।
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।। नमों नारायण ।।
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बेटी शादी के मण्डप में या ससुराल जाने मात्र से ही पराई नहीं हो जाती । बल्कि जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद बेसिन के पास टंगे नैपकिन के बजाय अपने बैग के छोटे से रुमाल से मुंह पोंछती है तब वह पराई लगती है ।।
मित्रों, एक बेटी जब उसकी शादी हो जाती है और वह मायके वापस आती है । और जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी ठिठक जाती है तब वह पराई लगती है ।।
जब वह पानी के गिलास के लिए इधर- उधर आँखें घुमाती है तब वह पराई लगती है । जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है ।।
मित्रों, जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है । जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है ।।
जब बात- बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है । लौटकर जाते समय "अब कब आएगी" के जवाब में "देखो कब आना होता है" यह जवाब देती है तब हमेशा के लिए पराई हो गई सी लगती है ।। लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से अपनी कोर सुखाने की कोशिश करती है तो वह परायापन एक झटके में परायी हो जाती है ।।
लेकिन बेटियाँ पराई नहीं होती वो अपने ससुराल के दुखों को छिपाने और अपने माता के दर्द का अनुभव करके ऐसा करती है । अपने दुःख के घूंटों को पीकर भी अपने दर्द को छिपाकर चली जाती है ।।
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